पहलगाम नरसंहार: मानवता पर हमला – मौन भी एक अपराध है



प्रेस बयान

"पहलगाम नरसंहार: मानवता पर हमला – मौन भी एक अपराध है"

नई दिल्ली,
डॉ. एंथनी राजू, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं चेयरमैन – Indian National Human Rights Protection Council (INHRC) ने पहलगाम में हुए नृशंस आतंकी हमले पर गहरा शोक और आक्रोश व्यक्त किया है। उन्होंने कहा:

"यह हमला सिर्फ निर्दोष भारतीय नागरिकों पर नहीं था, बल्कि यह हमारे संविधान, हमारे मानवीय मूल्यों और राष्ट्रीय एकता पर भी हमला था। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इतने प्रत्यक्षदर्शियों के होते हुए—घोड़े वाले, दुकानदार, छोटे विक्रेता—किसी ने भी हमलावरों की पहचान को उजागर नहीं किया, न कोई वीडियो, न कोई आवाज। यह खामोशी खतरनाक है। यह प्रश्न उठाती है: क्या यह भय का परिणाम है या मौन समर्थन?"

भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार देता है। जब निर्दोषों की हत्या होती है, तो यह हर नागरिक का नैतिक और संवैधानिक कर्तव्य है कि वह न्याय की प्रक्रिया में सहयोग करे।

"INHRC पीड़ितों के परिवारों के साथ खड़ा है और हम यह मांग करते हैं कि दोषियों को चिन्हित कर कठोरतम कार्रवाई की जाए। यह न केवल आतंक का जवाब होगा, बल्कि मानवाधिकारों की सच्ची रक्षा भी।"


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